11 नगर निगमों में 8 सामान्य, 2 ओबीसी और 1 एससी के लिये हो सकती है आरक्षित
देहरादून)। नगर निकाय चुनाव के लिए सरकार के अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश में नगर निकाय सीटों पर आरक्षण की प्रक्रिया तेज हो गई है और दिसम्बर में ही आरक्षण की तस्वीर को साफ कर दिया जायेगा। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में 30 नगर निकायों में अध्यक्ष और मेयर पद पर ओबीसी के लिए आरक्षण तय किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार नगर निगम में मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायतों में अध्यक्ष के पदों पर बदलाव किया गया है। ग्यारह नगर निगमों में अनुसूचित जाति के लिए 1 पद एवं सामान्य वर्ग के लिए 8 और ओबीसी के लिए 2े पद निर्धारित किए गए। इन सभी 11 नगर निगम सीटों पर 33 प्रतिशत महिला आरक्षण भी लागू होगा, जिसके तहत इस बार 3 या 4 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने की तैयारी है। सूबे में पहली बार 30 प्रतिशत तक ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। आबादी के आंकड़ों के हिसाब से आरक्षण की तस्वीर जो सामने आ रही है उसके अनुसार रूद्रपुर, काशीपुर को सामान्य,हल्द्वानी,देहरादून को महिला सामान्य, रूड़की,हरिद्वार को ओबीसी और श्रीनगर को एससी के लिये आरक्षित किया जा सकता है। जबकि कोटद्वार,ऋषिकेश,अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ को भी सामान्य और महिला के लिये किया जा सकता है। जबकि 45 नगर पालिका में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए छह पद, अनुसूचित जन जाति वर्ग के लिए एक पद, सामान्य वर्ग के लिए 25 और ओबीसी वर्ग के लिए 13 पद निर्धारित किए गए हैं। 46 नगर पंचायतों में छह पद अनुसूचित जाति, एक पद अनुसूचित जनजाति, सामान्य वर्ग के लिए 24 पद और 15 पद ओबीसी के लिए निर्धारित किए गए हैं। पिछले नगर निकाय चुनाव 2018 की बात करे तो उस समय सात नगर निगमों का चुनाव हुआ था। जिसमें देहरादून और हल्द्वानी को सामान्य रखा गया था जबकि ऋषिकेश, हरिद्वार व कोटद्वार नगर निगम में मेयर का पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर उनके लिये तीन सीटे सुरक्षित की गई थी। काशीपुर में ओबीसी और रुद्रपुर में अनुसूचित जाति के लिए मेयर का पद आरक्षित था। नगर निगम बनने के बाद रूद्रपुर की सीट लगातार दो बार आरक्षित की जा चुकी हैं और यहां अन्य नगर निगमों की अपेक्षा अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग की संख्या भी कम है। इसलिये सम्भावना जताई जा रही है कि इस बार निकाय चुनाव में रूद्रपुर के साथ काशीपुर को भी सामान्य रखा जायेगा। नगर निगम देहरादून और हल्द्वानी की सीट पिछले तीन चुनाव से सामान्य रही है। आंकड़ों के हिसाब से उम्मीद जताई जा रही है कि उपरोक्त दोनों सीटों पर बदलाव करते हुये उसे महिला के लिये आरक्षित किया जायेगा। एससी जनसंख्या के अनुपात की बात करे तो प्रदेश में अनुसूचित जाति का प्रतिशत 17.14 प्रतिशत श्रीनगर नगर निगम क्षेत्र में है। जिसके चलते श्रीनगर नगर निगम सीट को एससी किये जाने की सम्भावना सबसे अधिक जताई जा रही है। वहीं नगर पालिका और पंचायतों की बात करे तो इस बार वहां भी बड़े बदलाव हुये है। नगर पालिकाओं में सामान्य वर्ग के अध्यक्ष पद की संख्या 22 से बढ़ाकर 25 कर दी गई है, जबकि ओबीसी के पदों की संख्या 12 से बढ़कर 13 हो गई। नगर पंचायतों में अध्यक्ष के 45 पदों में से सामान्य वर्ग के पदों की संख्या 23 से बढ़ कर 24 हो गई है, जबकि ओबीसी के पदों की संख्या 16 से घटकर 15 हो गई है। इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया गया कि ओबीसी आबादी के अनुपात में उनको उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
आबादी के आधार पर ही पूरे आरक्षण का निर्धारण
देहरादून। निकाय चुनाव में आबादी के आधार पर आरक्षण की संस्तुति की गई है। इस बदलाव का आधार 2011 की जनगणना और ओबीसी सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़े हैं। नए आंकड़ों के अनुसार, 11 नगर निगम में ओबीसी की आबादी 18.05 प्रतिशत से घटकर 17.52 प्रतिशत हो गई है, जबकि नगर पालिका में ओबीसी की आबादी 28.10 प्रतिशत से बढ़कर 28.78 प्रतिशत हो गई है। नगर पंचायतों में ओबीसी की आबादी 38.97 प्रतिशत से घटकर 38.83 प्रतिशत रह गई है। इस आधार पर आरक्षण की संस्तुति की गई